“प्राइडसोल“, “मारक्यु विकास एवं कल्याण समिति” द्वारा शुरू की गई एक मधुर और सम्मानजनक पहल जिसका उद्देश्य उन सभी वृद्ध लोगों को हमारे वृद्धाश्रम में अतिथि स्वरुप स्वीकार करना तथा सम्मान पूर्वक उन सबों की देखभाल करना है। ऐसा माना गया है की “बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन होता है”।ऐसा इसलिए भी माना गया है क्योंकी इस अवस्था में आते ही इंसान शारीरिक और मानसिक रूप से पराश्रित हो जाया करते हैं।कई मामलों में देखा गया है कि कुछ बुजुर्गों को घर पर सब कुछ मिलते हुए भी अकेला महसूस होता है, कुछ तो अपनी ६० वर्ष की आयु के बाद सेवानिवृत्त हो गए हैं लेकिन कुछ करने को नहीं है तो धीरे-धीरे उनमें मानसिक अवसाद होना शुरू हो जाता है, कुछ विधवाएं हैं और कुछ तो अपने ही अयोग्य सन्तानों पर निर्भर हैं – उन्हें अपना बाकी बचे हुए जीवन तमाम तरह की दिक्ततें आती है, वो स्वप्रताड़ित महसूस करने लगते हैं। कुछेक मामलों में हम पाते हैं की जिन बुजुर्गों के बच्चे काम-काज के सिलसिले में अक्सर घर से दूर रहते हैं या विदेशों में रहते हैं, वो चाहकर भी अपने माता-पिता को साथ नहीं रख सकते। हमारा वृद्धाश्रम “प्राइडसोल” कुछ “हमारा घर आपके घर जैसा है” जहां आप अपने बुजुर्ग माता-पिता के लिए अनुरागशील, उत्साही और सकारात्मक वातावरण महसूस करेंगे। हमारे वृद्धाश्रम में हम उनके हर छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखते हैं ताकि किसी एक वजह से उनमें खुशी या उत्साह की कमी ना होने पाए। उनके लिए कोई भी जरूरतमंद चीज बस एक आवाज़ की दूरी पर होती है।